देशाटन : सारनाथ - वाराणसी -प्रयागराज
date : 21.&22.02.23 - day 5&6
काशी या बनारस के नाम से प्रसिद्ध वाराणसी शहर तीर्थयात्रियों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी बेहद खास है।
काशी विश्वनाथ मंदिर :
काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक हैं जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में मौजूद शिव के ज्योतिर्लिंग को देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।
बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर अब नवीन अंदाज में अद्भुत दिखाई देता है। मंदिर का प्रांगण पूरे 57 हजार स्क्वायर फिट में बनाया गया है। पहले काशी विश्वनाथ मंदिर मे गली-गली होकर जाना होता था। साथ ही बहुत भीड़ भी हो जाती थी, जिसके चलते भक्तों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को बहुत भव्य बना दिया गया है। अब भक्तों को मन्दिर जाने के लिए अच्छी सुविधा हो गई है।
दुर्गा मन्दिर :
काशी का ये प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर 18वीं सदी में बनाया गया था. जहां मां दुर्गा की पूजा की जाती है । इस मंदिर में मां दुर्गा कुष्मांडा स्वरूप में विद्यमान हैं ।
तुलसी मानसा मंदिर :
तुलसी मानसा मंदिर वाराणसी के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है। लेकिन इस मंदिर का नाम संत कवि तुलसी दास के नाम पर पर रखा गया है ।
संकट मोचन हनुमान मंदिर :
यह मन्दिर भगवान राम और हनुमान को समर्पित है। संकट मोचन हनुमान जी मंदिर शहर का एक अनिवार्य हिस्सा है। इस मंदिर में चढ़ाए जाने वाले लड्डू लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं।
गंगा आरती :
वाराणसी में शाम के समय गंगा आरती होती है जिसका नजारा बड़ा ही खूबसूरत होता है। यह आरती बहुत ही भव्य होती है। आरती की ध्वनि एवं दृश्य से मन मुग्ध हो जाता है। गंगा आरती देखना एक ऐसा अनुभव है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
सारनाथ :
वाराणसी से 13 किमी की दूरी पर स्थित सारनाथ भारत में प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। वाराणसी के आस-पास घूमने वाली जगहों में यह एक बेहद खास स्थान है। सारनाथ के लोकप्रिय दर्शनीय स्थलों में चौखंडी स्तूप, अशोक स्तंभ, धमेख स्तूप, पुरातत्व संग्रहालय, मूलगंध कुटी विहार, चीनी, थाई मंदिर और मठ शामिल हैं।
सारनाथ स्थल के मुख्य चित्र :
वाराणसी एवं सारनाथ की यह दूसरी यात्रा थी । इससे पूर्व 7-8 मार्च 2019 को भगवान काशी विश्वनाथ दर्शन के लिए आया था ।
प्रयागराज :
भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के किनारे स्थित इलाहाबाद जिसे अब प्रयागराज नाम दिया गया है। यह सदियों से तीर्थ यात्रियों के लिए प्रमुख स्थान रहा है यह देश के उन चार प्रसिद्ध शहरों में से एक है जो कुंभ मेले का आयोजन करते हैं यहां प्रत्येक 12 बर्ष में महाकुम्भ और 6 बर्ष में अर्ध कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है।
त्रिवेणी संगम (गंगा स्नान )
त्रिवेणी संगम हिन्दू धर्म की 3 पवित्र नदिया गंगा , यमुना और सरस्वती का मिलन स्थल है जहां ये नदियां आपस में मिलती है उसे त्रिवेणी संगम कहते है और इस संगम की खास बात यह भी है की आपस में जहां तीनो नदियां मिलती है वहां पानी का सावले रंग का हो जाता है ।
त्रिवेणी संगम प्रयागराज में दूसरी बार आना हुआ । इससे पूर्व 1978 में आया था ,जब सोशल फाइनेंस एन्ड कॉमर्शियल कम्पनी बनाने के लिए कानपुर आया था।
बड़े हनुमानजी मन्दिर :
त्रिवेणी संगम घाट के समीप हनुमान जी की अद्भुत प्रतिमा है । जहाँ गंगा नदी लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर बहती है ।
भारद्वाज आश्रम-
मुनि भारद्वाज के समय यह एक प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र था. कहा जाता है कि भगवान राम अपने वनवास पर चित्रकूट जाते समय सीता जी एवं लक्ष्मण जी के साथ इस स्थान पर आये थे ।वर्तमान में वहां भारद्वाजेश्वर महादेव मुनि भारद्वाज, तीर्थराज प्रयाग और देवी काली इत्यादि के मंदिर हैं ।निकट ही सुन्दर भारद्वाज पार्क है।
शंकर विमान मण्डपम-
यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है । मंदिर चार स्तम्भों पर निर्मित है । जिसमें कुमारिल भट्ट, जगतगुरु आदि शंकराचार्य, कामाक्षी देवी (चारों ओर 51 शक्ति की मूर्तियां के साथ), तिरूपति बाला जी (चारों ओर 108 विष्णु भगवान) और योगशास्त्र सहस्त्रयोग लिंग (108 शिवलिंग) स्थापित है।
निष्कर्ष :
यात्रा में यात्रियों के जोश को देखने से लगा की यात्रा करते रहना एक प्रकार का जीवन रक्षक टॉनिक है। यात्रा में कई ऐसे बुजुर्ग थे जो यात्रा करते रहते हैं। उनके जिंदा दिल्ली से कहीं से वह बुजुर्ग नहीं लग रहे थे। कुछ लोगों को चलने में दिक्कत थी परन्तु यात्रा करने में असहाय नही दिखे । खाने में कोई परहेज़ नही कर रहे थे। दबा के खाने में कोई संकोच नहीं कर रहे थे। यात्रा में बुजुर्ग पुरुषों एवं महिलाओं की संख्या अधिक थी ।
यात्रा बहुत यादगार सुन्दर सुव्यवस्थित रही.एसी ट्रेन के आलावा यात्रा बस से भी हुई। एवं कहीं रिक्शा से भी आना जाना हुआ । वाराणसी एवं प्रयागराज में बोट का आनंद लिया गया । इस यात्रा में मुख्य रुप से भगवान राम एवं माता सीता से समन्धित इतिहासिक स्थलों का भ्रमण हुआ । और सारनाथ में बुद्ध से समन्धित जानकारी मिली. बनारस में प्रभु काशी विश्वनाथ के दर्शन के साथ गंगा आरती में सम्मिलित होने का अवसर मिला . प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर यात्रियों ने नाव के माध्यम से नहाने का आनंद लिया। सात दिन की यात्रा में सभी यात्रीयों का आपस में अच्छा सहयोग एवं प्रेम भाव रहा । ऐसा लग रहा था जैसे सभी एक दूसरे को पहले से जानते थे।