भारत के हर राज्य में प्राकृतिक सौंदर्य एवं धार्मिक स्थल है । और इन्हें देखने के लिए देश और दुनिया के लोग हर साल यहाँ पधारते हैं। भारत का हर राज्य अपना इतिहास, सुंदरता और खानपान से समृद्ध है लेकिन यहाँ के कुछ पर्यटन स्थल एवं धार्मिक स्थल ऐसे हैं जो हमेशा सदाबहार रहते हैं। ये पर्यटक स्थल एवं धार्मिक स्थल सैलानियों को खूब लुभाते हैं और इन्हें घूमने का क्रेज कभी खत्म नहीं होता।
तो आइए जानते है वो खास जगहें कौन सी हैं
भारतीय धर्मग्रंथों में "भारत के चार धाम" के रुप में बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम की चर्चा है। और उत्तराखण्ड चार धाम के अन्तर्गत केदारनाथ , बद्रीनाथ , गंगोत्री एवं यमुनोत्री का उल्लेख किया गया है।
सभी धामों के दर्शन परिपूर्ण होने के बाद धार्मिक तीर्थों का संक्षिप्त उल्लेख निम्नवत है।
भारत के चार धाम :
1. श्री बद्रीनाथ (उत्तराखंड)
2. श्री द्वारका (गुजरात)
3. श्री जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा)
4. श्री रामेश्वरम (तमिलनाडू )
श्री बद्रीनाथ धाम :
हिमालय के शिखर पर स्थित बद्रीनाथ मंदिर हिन्दुओं की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। यह चार धामों में से एक है।
बद्रीनाथ मन्दिर मे भगवान विष्णु की "श्री बद्रीनारायण" के रुप की पूजा होती है।
मन्दिर का प्रवेश द्वार :
बद्रीनाथ मन्दिर अलकनन्दा नदी से लगभग 50 मीटर ऊंचे धरातल पर निर्मित है, और इसका प्रवेश द्वार नदी की ओर है। मन्दिर का मुख पत्थर से बना है, चौड़ी सीढ़ियों के माध्यम से मुख्य प्रवेश द्वार तक पहुंचा जा सकता है, जिसे सिंह द्वार कहा जाता है। इस द्वार के छत के मध्य में एक विशाल घंटी लटकी हुई है।
मंदिर के कपाट खुलने का समय :
प्रति वर्ष अप्रैल और मई माह के बीच बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं । दीपावली महापर्व के बाद शीत ऋतु में मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं। मन्दिर में 6 माह तक दीपक जलता रहता है। पुरोहित ससम्मान पट बंद कर भगवान के विग्रह एवं दंडी को 6 माह के लिए ऊखीमठ में ले जाते हैं। 6 माह मंदिर और उसके आसपास कोई नहीं रहता है, लेकिन आश्चर्य है कि 6 माह तक दीपक भी जलता रहता है।
शास्त्रों के अनुसार मनुष्य को जीवन में कम से कम दो बार बद्रीनाथ की यात्रा जरूर करनी चाहिए।
दर्शन करने का मिला शुभ अवसर :
दिनांक 17 अक्टूबर 2019 एवं 1990-95 के मध्य .
श्री द्वारिका धाम ( गुजरात )
भगवान श्री कृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर, द्वारका, गुजरात, में स्थित है। द्वारकाधीश मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर द्वारकाधीश की पूजा की जाती है । मान्यता है कि इस स्थान पर मूल मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने करवाया था।
मंदिर में दो प्रवेश द्वार हैं। मुख्य प्रवेश द्वार को "मोक्ष द्वार" कहा जाता है। यह प्रवेश द्वार मुख्य बाजार के तरफ जाता है। दक्षिण प्रवेश द्वार को "स्वर्ग द्वार" कहा जाता है। इस द्वार के बाहर 56 सीढ़ियाँ हैं जो गोमती नदी की ओर जाती हैं।
द्वारका श्री कृष्ण भगवान की नगरी भारत के चार धाम मे से एक है। गोमती नदी के तट पर स्थित, द्वारका को भगवान कृष्ण की राजधानी के रूप में वर्णित किया गया है। तथा इस स्थान पर गोमती नदी अरब सागर से मिलती है।
दर्शन करने का मिला शुभ अवसर :
दिनांक 15-16 दिसम्बर 2018
श्री जगन्नाथ पुरी धाम (ओड़िशा )
जगन्नाथ धाम ओड़िशा राज्य के पुरी शहर में स्थित है। यहां श्रीकृष्ण को जगन्नाथ कहते हैं। जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा विराजमान हैं। तीनों की ये मूर्तियां काष्ठ की बनी हुई हैं।इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण समेत बलराम और बहन सुभद्रा की पूजा उपासना की जाती है।
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। रथ यात्रा देवशयनी एकादशी के दिन समाप्त होती है। कालांतर से यह पर्व श्रद्धा और भक्ति पूर्वक मनाया जाता है। इस यात्रा में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम अपनी बहन सुभद्रा को नगर की सैर कराते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु रथ यात्रा में उपस्थित होते हैं। सामान्य दिनों में भी भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
जगन्नाथ मन्दिर के कुछ निम्न चमत्कारिक तथ्य है जो अन्य कहीं नही मिलते ।
दिन के किसी भी समय जगन्नाथ मन्दिर के शिखर की परछाई नहीं बनती।
श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा ।
मंदिर के ऊपर गुंबद के आसपास अब तक कोई पक्षी उड़ता हुआ नहीं देखा गया। इसके ऊपर से विमान नहीं उड़ाया जा सकता।
दर्शन करने का मिला शुभ अवसर :
दिनांक 9 फरवरी 2019
श्री रामेश्वरम धाम (तमिलनाडु )
श्री रामेश्वरम धाम तमिलनाडु राज्य में स्थित है। भारत के उत्तर मे काशी की जो मान्यता है ,वही दक्षिण में रामेश्वरम की है।
रामेश्वरम एक ऐसा तीर्थ है जिसकी मान्यता भारत के चार धामों और बारह ज्योतिर्लिंगों में होती है । मान्यताओं के अनुसार रावण बध के बाद भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना कर यहाँ शिवजी की पूजा की। मंदिर के चारो ओर ऊंची दीवार है। मन्दिर के बाहर लंबा - चौड़ा गलियारा बना है जिसकी ऊंचाई 9 मी. और चौड़ाई 6 मी. है। इसके साथ पांच फुट ऊंचे चबूतरे पर स्तंभ बने है। गलियारों में 1212 स्तंभ है। जो देखने में एक जैसे लगते है। बारीकी से देखने पर पता चलता है की हर एक स्तंभ की कारीगरी एक दूसरे से अलग है। कहा जाता है , मन्दिर के भीतर 22 तिर्थो में स्नान करने से पापों से और रोगो से मुक्ति मिलती है और शरीर में नई ऊर्जा आजाती है ।
दर्शन करने का मिला शुभ अवसर :
दिनांक 28 जनवरी 2019
उत्तराखण्ड के चार धाम या छोटा चार धाम :
1 .गंगोत्री 2. यमुनोत्री 3. केदारनाथ 4. बद्रीनाथ
उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है। इस पावन धरा पर चारधाम यात्रा की जाती है। उत्तराखंड में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा को ही चार धाम की यात्रा माना जा रहा है । इन्हें छोटा चार धाम कहा जाता है। श्रद्धालु बड़ी संख्या में उत्तराखण्ड के चार धामों की यात्रा करते हैं।
गंगोत्री धाम (उत्तराखण्ड )
जहाँ स्वर्ग से धरती पर उतरती हैं गंगा मैया
गंगोत्री मंदिर” उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले से लगभग 100 किमी की दुरी पर स्थित है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धरती पर मां गंगा का जिस स्थान पर अवतरण हुई , उसे “गंगोत्री धाम ” के नाम से जाना जाता है। पवित्र नदी का उद्गम गोमुख पर है जो की गंगोत्री ग्लेशियर में स्थापित है, और गंगोत्री से 19 की दूरी पर है । शास्त्रों के अनुसार, यहीं पर भगवान शिव ने अपनी जटाओं से गंगा नदी को मुक्त किया जिसके बाद देवी गंगा का अवतरण हुआ था ।
आसान शब्दों में समझें तो उत्तराखंड के गढ़वाल में गंगोत्री हिमनद से गंगा नदी निकलती है। इस नदी की धारा को भागीरथी कहा जाता है। भगीरथी नदी की धारा देवप्रयाग में अलकनंदा में मिलती है। दोनों नदियों का देवप्रयाग संगम से गंगा कहलाती है।
मां गंगा मया अपने विशाल रूप में भारत को सींचते हुए महासागर में जा मिलती है। पर इससे वह कई शहर, तीर्थ स्थल और उपजाऊ धरती की जननी बनती है।
गंगोत्री धाम हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। हर साल यहाँ पर देसी-विदेशी पर्यटक आते रहते हैं।
धरती लोक पर राजा भागीरथ ने कई वर्षों की कठिन तपस्या कि ताकि उसके मृत पूर्वजों को गंगा के जल से मोक्ष प्राप्त हो जाए । गंगा के वेग से धरती लोक तबाह हो सकता था । इसे रोकने के लिए ब्रह्मा ने शिवजी से प्रार्थना की और शिवजी ने तीव्रता से गिरी गंगा को अपनी जटा से बाँध लिया। शिवजी के स्पर्श में आ कर गंगा शांत हो गईं और उनका वेग कम हो गया। जटा से गंगा शांत रूप में धरती पर निकलीं और उनके जल से भीग कर भागीरथ के पूर्वज मोक्ष प्राप्त कर स्वर्ग लोक को चले गए। भागीरथ के इन प्रयासों के कारण गौमुख से निकलती हुई गंगा को भागीरथी के नाम से भी जाना जाता है। थोड़ी दूर बहने के बाद जब वे देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिल जाती हैं तो वे गंगा कहलाती हैं।
यमुनोत्री धाम (उत्तराखण्ड )
जहां स्नान और दर्शन से यम भी होते हैं खुश
हिमालय की पर्वत श्रंखलाओं में बसा ” यमुनोत्री धाम ” देवभूमि उत्तराखण्ड के चार धामों में से एक है । खास बात ये कि चारधाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री धाम होती है । मां यमुना का मंदिर विशेष आस्था का प्रतीक है । शास्त्रों में इस धाम को मां यमुना का निवास स्थान कहा जाता है।
यमुना नदी का उद्गम स्थल मंदिर से करीब एक किलोमीटर आगे हिमनद या चंपासर ग्लेशिर में है। यहां जाने का रास्ता काफी दुर्गम है। यहां तक पहुंचना काफी मुश्किल है।यमुनोत्री हिमनद से निकलकर करीब 10 किलोमीटर दूर सप्तऋषि कुंड में गिरती है फिर यहां से यमुना नदी के रूप में प्रवाहित होती हैं। गंगा के बाद देश की दूसरी सबसे पवित्र और पूज्य नदी यमुना उत्तराखंड का एक प्रमुख पर्यटक और तीर्थ स्थल है ।
मन्दिर :
यमुना देवी मंदिर पहाड़ी के तल पर स्थित है। चारों ओर से पहाड़ों से घिरा यह जगह काफी सुंदर और मनमोहक है। यहां मन को एक अलग ही शांति मिलती है। मंदिर के दोनों तरफ दो कुंड हैं- सूर्य कुंड और गौरी कुंड। सूर्य कुंड गर्म पानी का स्रोत है। श्रद्धालु यहां पोटली में चावल और आलू रखकर कुंड के गर्म पानी में डालते हैं। गर्म पानी में पके इन चावल और आलू को मंदिर में चढ़ाते हैं। इस प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
यमनोत्री धाम में दर्शन के लिए श्रद्धालु जानकी चट्टी वाहन से पहुंच सकते हैं । जिसके बाद मंदिर सिर्फ पांच किलोमीटर की दूरी पर रह जाता है । यहां से श्रद्धालु पैदल यात्रा कर मंदिर के प्रांगण तक पहुंचते हैं । मंदिर तक चढ़ाई का मार्ग वास्तविक रूप में दुर्गम और रोमांचित करनेवाला है। देवी यमुना के मंदिर के दर्शन करने यात्राकाल के दौरान लाखों श्रद्धालु यमुनोत्री आते हैं ।
माना जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने चारधाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री धाम से ही की थी । जिसके बाद वो गंगोत्री और केदारनाथ होते हुए बद्रीनाथ धाम पहुंचे थे ।
दर्शन करने का मिला शुभ अवसर :
1990-95 के मध्य .
निष्कर्ष :
भारत प्रकृति की खूबसूरत जगहों और नजारों से लेकर मानव निर्मित चमत्कारों और अन्य संरचनाओं वाला देश है। प्राकृतिक सुन्दरता एवं ऐतिहासिक स्मारकों से लेकर मंदिरों तक भारत में कई ऐतिहासिक आकर्षण देखने को मिलते हैं। प्राचीन आकर्षणों में चार धाम मंदिर भी है, जो प्राकृतिक सुन्दरता , धार्मिक यात्रा , वास्तुकला और दिलचस्प तथ्यों के लिए जाने जाते हैं। एक बार भारत एवं उत्तराखण्ड के चारों धामों की यात्रा आवश्य करनी चाहिए।