देशाटन :   पिंजौर गार्डन - चंडीगढ़

 चण्डीगढं की शान है पिंजौर गार्डन



सफरनामा : 2018 :2:0 > 10
यात्रा करना मानव की मूल प्रवृत्ति हैं । हम अगर मानव इतिहास पर नजर डाले तो पाएगे कि मनुष्य के विकास की यात्रा में यात्रा का महत्वपूर्ण योगदान हैं । अपने जीवन काल मे मानव कोई न कोई यात्रा के लिए कहीं न कहीं अवश्य जाया करता हैं ।

यात्रा वृत्तांत :210118
पारिवारिक कार्यक्रम में 20 जनवरी 18 को चण्डीगढ़ जाना हुआ । पारिवारिक मिलन के बाद सब लोगों ने पिंजौर गार्डन घूमने का मन बनाया, और चल दिए 21 जनवरी को पिंजौर गार्डन । पिंजौर गार्डन घूमने के साथ , दोपहर का भोजन का आनंद यहां के रेस्टोरेंट मे लिया । यहां पर बार भी है । आप चाहें तो बार मे बैठकर आनंदमय हो सकते हैं।



इसी यात्रा के दौरान बहुत समय बाद मित्र रंजन घनसाला से मुलाकात हुई । दरसल यह मित्रवर 1990 - 95 के मध्य कई बार चार धाम यात्रा के हमसफर रहे । इसके 1985 से 2005 तक मारुती से लेकर होंडा सिटी गाड़ी खरीदने में इनका सहयोग रहा। जब होंडा गाड़ी का शोरूम देहरादून में नहीँ था , तब इन्होंने लखनऊ से होंडा सिटी मंगवाई. और अब टाटा मोटर में है । इत्तफ़ाक जब मैं टाटा की ही गाड़ी खरीद रहा था । यहां पर भी इनका सहयोग मिला ।

अगले दिन राजेन्द्र सिंह नेगी एवं उनके साथियों ने दिल्ली जाना था, तो मैं भी उनके साथ अम्बाला तक आया। यहां  एक विवाह मे सम्मिलित होने का एक नया अनुभव हुआ । इसी कार्यक्रम में कुछ देर बाद आर.सी.एस.रावत एवं चारू रावत भी सम्मिलित हो गए । उसके बाद उन्हीं के साथ वापस देहरादून आने का कार्यक्रम बन गया । 



पिंजौर गार्डन :
पिंजौर स्थित बाग जिसे यादवेन्द्रा गार्डन भी कहते हैं, की बाहरी दीवारें पुराने किले सी लगती है, लेकिन बाग में पहुंचते ही दृश्य बदल जाता है। हरियाली की गोद में बसा हसीन ख्वाब। ऊंचाई से इठलाकर गिरकर, फिर फव्वारों के साथ नाचता और ठुमककर बहता पानी। हरी मखमली घास पर बिखरी बूंदों की मोतियों सी दमकाती धूप।

पिंजोैर गार्डन, चण्डीगढ़ से केवल 21 किमी. दूर अंबाला-शिमला राजमार्ग पर स्थित है । यह गार्डन बहुत सुन्दर , आकर्षक और मनमोहक है ‌। यह उद्यान लगभग 65 एकड़ भू-क्षेत्र में फैला हुआ है। यह एक पुरानी पहाड़ी की ढलान पर सात पट्टियों में निर्मित है। इसके विशाल मुख्यद्वार से प्रवेश करने पर इसकी प्राकृतिक खूबसूरती को निहार कर पहली नजर में ही मन आनंद विभोर हो उठता है।



चार मंजिलों में बंटा है उद्यान :
यह सीढ़ीनुमा उद्यान चार मंजिलों में बंटा हुआ हैं। थोड़ी-थोड़ी दूर पर बने फव्वारों वाली सात-आठ फीट चौड़ी नहर इन चारों मंजिलों में से गुजरती है। यहां  एकांत विलास-गृह सौलानियो का मन मोह लेते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के वृक्ष, देश विदेश की विविध प्रजातियों के पुष्प, जल-प्रपात, मखमली घास, लता कुजं और पक्षियों का कलरव सौलानियों को मंत्रमुग्ध कर देता है।  पिंजौर उद्यान में रंग महल, शीश महल और जलमहल 'चार बाग' शैली में निर्मित हैं।
इस गार्डन में निर्मित रंग महल और शीश महल पर्यटकों के विश्राम के लिए खोल दिए गए हैं। जलमहल को एक खुले रेस्तरां का रूप दे दिया गया हैं। 



उद्यान में एक लघु चिडि़याघर है, जिसमें अनेक तरह के जीव जंतु देखने को मिलते हैं। रात को रंग बिरंगी रोशनी में इसका आकर्षण और भी बढ़ जाता हैं।
यात्रा का समय :
पिंजौर गार्डन की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय फरवरी से अप्रैल और सितंबर से दिसंबर तक है क्योंकि मौसम सुखद रहता है। इसके अलावा, यह सुगंधित फूलों और हरे भरे पेड़ों और झाड़ियों से भरा हुआ है।
निष्कर्ष :
शिवालिक पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसे खूबसूरत  पिंजौर गार्डन एक बार जरुर देखना चाहिए। यहां क्यारियों में पौधे, खुश्बू बिखेरते दर्जनों किस्म के रंग बिरंगे फूल और फुदकती नाचती तितलियां मन को आनंदित कर देती है। बॉटल पाम व अन्य वृक्ष तन मन को सौम्य बना देते हैं। बहते पानी के साथ सुकून देता संगीत मन को प्रफुल्लित करता है।

भ्रमण अवधि  : 20 - 21 जनवरी 2018
हमसफर : राजेन्द्र सिंह नेगी , सत्या नेगी ,एवं  शीला, लीला


सोचने से कहाँ मिलते है तमन्नाओं के शहर,
चलना भी जरूरी है मंजिल को पाने के लिए.