राम सबका भला करे । सत्य है , "सांईं दर्शन" सांईं कृपा से ही होते हैं।
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सफरनामा : 2018 : 3 :3:>13
भारत विविधताओं का देश है, जिसमें विविध परम्पराओं का समावेश हैं । धार्मिक स्थलों के बारे में जानने की अभिरुचि मानव का स्वभाव हैं । इसी जिज्ञासा और स्वाभाविक अभिरुचि के लिए हम देहरादून - दिल्ली - मुम्बई - नासिक होकर शिरडी पहुँचे । शिरडी मुंबई से करीब 250 किलोमीटर और औरंगाबाद से 110 किलोमीटर दूर है।
दर्शन : 09032018
मुंबई से त्र्यंबकेश्वर महादेव दर्शन के पश्चात शिरडी पहुंचे । यहां होटल में रहने की व्यवस्था कर सांई मन्दिर गए । मन्दिर मे प्रवेश के साथ आरती के समय तक हॉल में बैठकर सांई दर्शन की मनोकामना पूर्ण हुई। आरती के समय तक सांई दर्शन का के साथ आरती में सम्मिलित होने का शुभ अवसर मिला ।
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शिरडी के सांईं :
शिरडी के साईं की प्रसिद्धि दूर दूर तक है । और यह पवित्र धार्मिक स्थल महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है । साईं का जीवन शिरडी में बीता जहां उन्होंने लोक कल्याणकारी कार्य किए । मान्यता है कि, चाहे गरीब हो या अमीर साईं के दर्शन करने इनके दरबार पहुंचा कोई भी शख्स खाली हाथ नहीं लौटता है । सभी की मुरादें और मन्नतें पूरी होती हैं ।
शिरडी का साईं मंदिर
शिरडी में साईं बाबा का पवित्र मंदिर साईं की समाधि के ऊपर बनाया गया है । साईं के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए इस मंदिर का निर्माण 1922 में किया गया था । साईं को लोग आध्यात्मिक गुरु और फकीर के रूप में जानते हैं। साईं के अनुयायियों में हिंदू के साथ ही मुस्लिम भी हैं। इसका कारण है कि अपने जीवनकाल के दौरान साईं मस्जिद में रहे थे । जबकि उनकी समाधि को मंदिर का रूप दिया गया है ।
साईं मंदिर में दर्शन
साईं का मंदिर सुबह 4 बजे खुल जाता है । सुबह की आरती 5 बजे होती है । इसके बाद सुबह 5.40 से श्रद्धालु दर्शन करना शुरू कर देते हैं । रात 10.30 बजे अंतिम आरती के बाद एक शॉल साईं की विशाल मूर्ति के चारो ओर लपेट दी जाती है । और साईं को रुद्राक्ष की माला पहनाई जाती है । इसके पश्चात मूर्ति के समीप एक गिलास पानी रख दिया जाता है ।
सांईं बाबा का जन्म स्थान पाथरी
महाराष्ट्र के परभणी जिले के पाथरी गांव में सांईंबाबा का जन्म 27 सितंबर 1830 को हुआ था। सांईं के जन्म स्थान पाथरी पर एक मंदिर बना है। मंदिर के अंदर सांईं की आकर्षक मूर्ति रखी हुई है।
सांईं बाबा के माता-पिता का नाम
सांईं बाबा के पिता का नाम परशुराम भुसारी और माता का नाम अनुसूया था । जिन्हें गोविंद भाऊ और देवकी अम्मा भी कहा जाता था।
साईंबाबा जिन्हें शिरडी साईंबाबा भी कहा जाता है , एक भारतीय गुरु, और फकीर थे । जैसे पर्वतों में हिमालय श्रेष्ठ है , वैसे ही संतों में श्रेष्ठ हैं सांई बाबा ।
साईं के उपदेशों से लगता है कि इस संत का धरती पर प्रकट होना लोगों में धर्म, जाति का भेद मिटाना है । और शान्ति, समानता की समृद्धि के लिए कार्य करना है ।
शिरडी में कहां ठहरें
प्रमुख धार्मिक स्थल होने के कारण शिरडी में ठहरने के स्थानों की कोई कमी नहीं है। शिरडी में आपको अधिकतर बजट और मध्य बजट होटल मिलेंगे जो साईं मंदिर के आसपास के एरिए में स्थित हैं। 1000 रुपए तक में आपको अच्छा और साफ सुथरा होटल मिल जाएगा। अगर आप किसी होटल में नहीं ठहरना चाहते तो श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट के आवास स्थानों पर ठहर सकते हैं जो बेहद कम कीमत में गुणवत्तापूर्ण आवास विकल्प उपलब्ध कराते हैं।
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यात्रा का समय :
शिरडी पूरे साल कभी जा सकते हैं लेकिन धार्मिक स्थल होने के कारण खास मौकों पर काफी भीड़भरा होता है खासतौर पर गर्मियों की छुट्टियों के दौरान इसलिए अक्टूबर से मार्च सबसे अच्छा समय है क्योंकि इस दौरान यहां ज्यादा भीड़ नहीं होती। इसके अलावा सोमवार और शुक्रवार के दिन भी मंदिर में कम भीड़ होती है। छुट्टी वाले दिन, वीकेंड या किसी धार्मिक त्योहार के समय यहां जाने से बचें। हर गुरुवार को साईं बाबा की पालकी निकाली जाती है और इस दिन भी यहां काफी भीड़ होती है।
निष्कर्ष :
असामान्य परिस्थितियां के कारण एक बार यात्रा कार्यक्रम निरस्त करना पड़ा। पुन : यात्रा का कार्यक्रम निरस्त करने की नौबत आ गईं । फिर मैंने यात्रा की समस्या शिरडी बाबा पर छोड़ दिया। सांई बाबा की कृपा से अचानक यात्रा का विघ्न समाप्त हो गया, और निश्चित तिथि पर यात्रा हो गई । जिन्दगी में कभी- कभी विपरीत परिस्थितियां होने के बाद भी यात्रा सफल हो जाती है ।