न्याय का देवता है महासू देवता

महासू देवता (चारों देव भ्राताओं का सामुहिक नाम)


 उत्तराखंड की सुंदर वादियों के बीच मे  महासू देवता का  मुख्य मंदिर चकरोता के पास हनोल गांव मे है । जो देहरादून से लगभग 190 किमी है  मन्दिर के अंदर जाना मना है सिर्फ पुजारी ही अंदर जा सकता है । मंदिर मे दशकों से एक ज्योति जलती रहती है, और गर्भ से जो पानी निकलता है वह कहां से निकलती है, किधर जाती है किस को नहीं मालूम । यह मंदिर 9वीं शताब्दी मे बनाया गया था । अभी यह पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण मे है । इसके अलावा महासू देवता के जौनसार क्षेत्र मे तीन मंदिर और हैं । जो देहरादून से लगभग 90 किमी मे है ।तीनों मन्दिर एक दूसरे से 5-7 किमी की दूरी पर स्थित है।


        महासू देवता मन्दिर विसोई


   
        महासू देवता मन्दिर लखस्वार


 
        महासू देवता मंदिर लखवाड़



     महासू देवता चार देव भ्राता है ।  (चार देव भ्राताअों का सामुहिक नाम महासू देवता है )बसिक महासू, पबासिक महासू,  बोठा महासू और  चालदा महासू , जो भगवान शिव के अंश माने जाते हैं । महासू देवता के कथा के बारे मे बहुत कम लोग जानते हैं । यह न्याय के देवता हैं, जो उत्तराखंड के जौनसार  क्षेत्र से संबंध रखते हैं। कथानुसार इस क्षेत्र मे बहुत राक्षस थे ।  लेकिन  किरमिर नाम के राक्षस का बहुत आंतक था ।  जिसके कारण प्रजा परेशान थी । इस दानव ने राजा हुणा भट्ट के सात पुत्रों को मार डाला और हुणा भट्ट की पत्नी कृतिका पर बुरी नजर रखने लगा । अपनी  व प्रजा की रक्षा हेतु  हुणा भट्ट की पत्नी कृतिका ने भगवान शिव की प्राथना की। फलस्वरूप भगवान शिव ने राक्षस किरमिर की दृष्टि छीन ली। 
हुणा भट्ट व कृतिका राक्षस से जान बचा कर कश्मीर के पर्वतों मे जाकर भगवान शिव की प्रार्थना मे मग्न हो गए । भगवान शिव ने  उन्हें दर्शन देकर बरदान दिया कि उनको और उनके क्षेत्र वासियों को जल्दी ही राक्षसों के अत्याचार से मुक्ति मिल जायेगी। इसके लिए उन्होने कहा वह वापस अपनी भूमि मे लोट कर शक्ति की प्रार्थना और अनुष्ठान करें। । देवी ने खुश होकर दर्शन देकर उनसे कहा हर रविवार अपने खेत का एक भाग चांदी के हल से और सोने के जूतों के साथ जोतना होगा । और बेैल ऐसे होने चाहिए जिन्होंने पहले कभी खेत न जोता हो।
   खेत जोतने पर चारों देव भ्राता प्रकट हुए । इसके बाद देवलाड़ी देवी ,दैवीय सेना के साथ प्रकट हुई । फिर महासू देव भ्राताओं  और उनकी सेना ने पूरे क्षेत्र से राक्षस समाप्त कर दिए । 
    देहरादून से महासू देवता हनोल मंदिर पहुंचने के लिए तीन रास्ते हैं । देहरादून- विकासनगर- चकराता- त्यूणी- हनोल जो लगभग 190 किमी है । दूसरा देहरादून- मसूरी - नैनबाग- पुरोला - मोरी - हनोल जो लगभग 175 किमी है। तीसरा देहरादून- विकासनगर- छिबरो डैम- क्वाणू- मिनस- हटाल- त्यूणी- हनोल जो लगभग 180 किमी है। 
    विशेष बात यह है कि , इस मंदिर मे राष्ट्रपति भवन दिल्ली की ओर से हर साल नमक भेंट किया जाता है ।